तुम लोग अपने दैनिक जीवन में प्रार्थना को कोई महत्व नहीं देते। मनुष्य प्रार्थना के मामले की उपेक्षा करता है। प्रार्थनाएँ सतही हुआ करती थीं, क्योंकि मनुष्य परमेश्वर के सामने बस अनमना रहता था। किसी भी व्यक्ति ने कभी परमेश्वर के सामने पूरी तरह से अपना हृदय अर्पित नहीं किया और परमेश्वर से सच्ची प्रार्थना
परमेश्वर के वचनों का एक भजन Ⅰ इंसान को परमेश्वर के वचनों के अनुसार चलना चाहिये। हर युग में, जब परमेश्वर अपना काम करता है, तो इंसान को कुछ वचन प्रदान करता है। कुछ सच्चाई व्यक्त करता है। कुछ सच्चाई व्यक्त करता है। ये वो सच्चाई है जिस पर इंसान को चलना चाहिये, ये वो
क्या आप जानते हैं कि परमेश्वर की उपासना कैसे करनी चाहिए? बाइबल कहती है, "परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसकी आराधना करनेवाले आत्मा और सच्चाई से आराधना करें" (यूहन्ना 4:24)। तो क्या आप जानते हैं कि आत्मा और सच्चाई से परमेश्वर की उपासना करने का क्या अर्थ है? हमें परमेश्वर की स्तुति के लिए उनकी उपासना कैसे करनी चाहिए? जानने के लिए अभी पढ़ें।
धार्मिक दुनिया के पादरी और एल्डर्स अक्सर प्रवचनों में विश्वासियों से कहते हैं कि प्रभु यीशु का नाम कभी नहीं बदल सकता और सिर्फ प्रभु यीशु के नाम पर भरोसा करके ही हम बचाये जा सकेंगे। क्या ऐसी सोच सत्य के अनुरूप है? यहोवा परमेश्वर ने कहा था, "मुझ से पहले कोई परमेश्वर न हुआ