Hindi Short Story - बचपन की यही फांस तुषार के मन में कुछ इस तरह चुभी कि शायद उसने बचपन में ही प्रण कर लिया था कि बड़ा होकर वह अपने बच्चों की इच्छाओं की अवहेलना नहीं करेगा, फिर चाहे उसे छुट्टी के दिन घर में रहकर आराम करने को मिले या न मिले.