हर साल मुझे आपके सुख-दुख के 60 लाख से ज्यादा पत्र मिलते हैं। इन पत्रों में खुशबू होती है आपके मीठे प्यार की। कभी आँसू की बरसात होती है, कभी तकलीफों का पिटारा, कभी चहकती खुशियाँ तो कभी गमगीन दुनिया। हर पत्र के साथ मैं रोता हूँ, मुस्कुराता हूँ और कभी-कभी घंटों बैठकर सोचता हूँ। सोचता हूँ, आखिर एक मानव इस दुनिया में चाहता क्या है? छोटी-छोटी मासूम खुशियाँ, सच्चा प्यार, अपनों की प्रगति, बड़ों का आशीर्वाद और भरपूर शांति।